छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जहां रखा गया है अलहम, उर्स के मौके पर चढ़ाते हैं चादर, एक साथ माथा टेकते हैं हिंदू-मुस्लिम

छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जहां रखा गया है अलहम, उर्स के मौके पर चढ़ाते हैं चादर, एक साथ माथा टेकते हैं हिंदू-मुस्लिम

बालोद : जिले में सालों पुरानी कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश करने वाले ऐतिहासिक मंदिर से जुड़ी एक फोटो इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. जिसे लेकर हिंदू और मुस्लिम सभी धर्म के लोग नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं. ऐसे में हम आपको इस मंदिर के अंदर मुस्लिम पताकाओं से जुड़ी कहानी के बारे में बता रहे हैं.

दरअसल, जिले के गुंडरदेही में स्थित हटरी बाजार चौक में मां चंडी देवी का मंदिर है. जहां गर्भगृह के उपर छज्जे में इस्लामिक 786 लिखा पताका है.

मान्यता के अनुसार 100 साल से भी पहले नगर में स्थित राम सागर तालाब से मां चंडी देवी की प्रतिमा निकली थी. जहां एक चांद नुमा 786 लिखा प्रतीक भी मिला. जिसे तब के जमीदार राजा निहाल सिंह राय और उनके पूर्वज ने इसी जगह पर मंदिर बनवा कर विधि विधान से पूजा अर्चना कर उसे वहीं स्थापित कर दिया.

उसी दिन से यह मंदिर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल और आस्था का केंद्र बन गया. जहां सभी धर्म के लोग पहुंचे हैं. हर साल इस स्थान पर रामसत्ता कार्यक्रम से लेकर अनेकों कार्यक्रम होते आ रहे हैं.

जिस परंपरा को राजा निहाल सिंह के वंशजों के साथ-साथ हिंदू मुस्लिम समाज के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी निभाकर परंपरा का अनुसरण करते आ रहे हैं.

उर्स में शामिल होते हैं हिंदू

गुंडरदेही निवासी मोहम्मद शेख मुनव्वर कहते हैं कि 52 साल हो गए, मैं बचपन से ही सुनते आ रहा हूं कि ठाकुर निहाल सिंह द्वारा मंदिर में अलहम रखा गया है. जिन्हें मैं भी देखता हूं.

मंदिर में हिंदू मुस्लिम सभी भाईचारे से साथ आते हैं. जिसे लोग हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल दिया करते हैं. बाबा सय्यद अलाउद्दीन बगदादी रहमतुल्ला का उर्स पाक होता है.

जिसमें मंदिर समिति से हिंदू भाईयो द्वारा चादर बाबा सय्यद अलाउद्दीन बगदादी रहमतुल्ला दरबार में चढ़ाया जाता है. जो हमारे यहां कौमी एकता की प्रतीक है.

बहरहाल मां चंडी देवी मंदिर में रखे मुस्लिम पताका की फोटो सोशल मीडिया में वायरल कर जिस तरह माहौल खराब करने का प्रयास किया जा रहा है, इससे नगर के हिंदू मुस्लिम सभी धर्म के लोग आहत हैं और ऐसे लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

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