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Collector’s Conference 2025: सरकारी योजनाओं की समीक्षा में CM साय का सख्त निर्देश- अस्पतालों की रेगुलर मॉनिटरिंग अनिवार्य, स्वास्थ्य व्यवस्था पर कलेक्टर होंगे जवाबदेह…..

रायपुर। राज्य के सभी 33 जिलों के कलेक्टरों के साथ मंत्रालय में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में चल रही कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में सरकार की प्राथमिक योजनाओं की गहन समीक्षा की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कई जिलों के कमजोर प्रदर्शन पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर सीधे कलेक्टर जिम्मेदार होंगे. कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव विकासशील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह सहित सभी विभागों के सचिव मौजूद है.

मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पतालों में फैल रही अव्यवस्था पर तीखी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जनता इलाज के लिए अस्पतालों में आती है, परेशानी झेलने के लिए नहीं. उन्होंने कलेक्टरों को निर्देश दिया गया कि वे अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करें और चिकित्सा सेवाओं को व्यवस्थित करें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना सरकार की प्राथमिकता है. हर प्रसव अस्पताल में हो, इसके लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए. उन्होंने टीकाकरण सत्रों की पारदर्शिता, एनआरसी केंद्रों के सतत संचालन और मैटरनल डेथ ऑडिट को हर मामले में अनिवार्य बताया.

सुपोषण योजना में तीन जिलों को मिली सराहना

कांफ्रेंस के दौरान सुपोषण योजना पर दुर्ग के कलेक्टर अभिजीत सिंह, राजनांदगांव जिला पंचायत की सीईओ सुरुचि सिंह और मोहला-मानपुर की कलेक्टर तूलिका प्रजापति ने प्रेजेंटेशन दिया. इन जिलों की पहल की मुख्यमंत्री ने सराहना करते हुए कहा कि सुपोषण अभियान केवल आंकड़ों की योजना नहीं, बल्कि बच्चों और माताओं के भविष्य से जुड़ी जिम्मेदारी है. राजनांदगांव जिले को सुपोषण कार्यों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया, जबकि मोहला-मानपुर को नीति आयोग द्वारा पुरस्कृत होने पर बधाई दी गई. बीजापुर जिले में मलेरिया उन्मूलन के कार्य को भी सराहा गया.

स्व-सहायता समूहों की पहल की तारीफ

मुख्यमंत्री ने रेडी टू ईट योजना को लेकर कहा कि जहां स्व-सहायता समूहों को जिम्मेदारी दी गई है, वहां परिणाम बेहतर दिखे हैं. उन्होंने दंतेवाड़ा और रायगढ़ जिलों के कलेक्टरों की सराहना की, वहीं अन्य जिलों को तेजी से इस मॉडल को अपनाने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि बच्चों के पोषण में भी अहम भूमिका निभा रही है.

धान खरीदी पर मुख्यमंत्री की सख्त चेतावनी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू होगी, और इसमें किसी भी स्तर पर गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि धान खरीदी में लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई सीधे कलेक्टर पर होगी, किसी परोक्ष जवाबदेही नहीं. जांजगीर जिले में किसानों के पंजीयन की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने पंजीयन कार्य तुरंत पूर्ण करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों बस्तर और कोंडागांव के कलेक्टरों को आगाह किया. उन्होंने कहा कि अगले एक माह में सभी पात्र किसानों का शत-प्रतिशत पंजीयन सुनिश्चित किया जाए. विशेष रूप से विशेष पिछड़ी जनजातियों के किसानों के लिए शिविर लगाकर पंजीयन की प्रक्रिया आसान बनाई जाए.

कोरबा बना सूर्य घर मॉडल जिला

प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कोरबा जिले की कॉन्फ्रेंस में जमकर सराहना हुई. कलेक्टर ने बताया कि जिले के बैगा और कोरवा जनजाति बहुल क्षेत्रों में डीएमएफ फंड से योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरबा का यह नवाचार अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल साबित हो सकता है.

जनकल्याण योजनाओं का असर ज़मीन पर दिखना चाहिए

कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि शासन की योजनाओं का वास्तविक मूल्यांकन तभी होगा, जब उसका प्रभाव आम नागरिकों के जीवन में दिखाई दे. उन्होंने कहा पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जवाबदेही हमारी प्राथमिक शर्तें हैं. मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों से अपेक्षा की कि वे योजनाओं की नियमित समीक्षा करें, मैदानी स्तर पर निगरानी बढ़ाएं और जनहित में परिणाममुखी दृष्टिकोण अपनाएं.

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