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इन्द्रावती नदी उसपार के ग्रामीणों की दो टूक “हमें स्वास्थ्य सेवा और भूमि अधिकार चाहिए”

सातवा/बेलनार में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पुनः शुरू करने व राजस्व रिकॉर्ड दुरुस्ती की ग्रामीणों ने रखी मांग

बीजापुर (हिन्दसत)। इन्द्रावती नदी उसपार बसे ग्राम पंचायत बांगोली, बेलनार और बैल के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से दो प्रमुख मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है। सरपंचों ने संयुक्त रूप से जिला कलेक्टर बीजापुर को ज्ञापन सौंपते हुए सातवा/बेलनार में बंद पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को पुनः शुरू करने और क्षेत्र में राजस्व रिकॉर्ड दुरुस्ती कर किसानों की भूमि अधिकार पुस्तिका में सुधार की मांग की है।

ग्रामीणों ने बताया कि इन्द्रावती पार का यह इलाका अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। वर्ष 1991 के बाद से अब तक यहां सीमांकन की प्रक्रिया नहीं हुई है, जिसके चलते लगभग 80 प्रतिशत किसानों की कृषि भूमि सरकारी अभिलेखों में दर्ज नहीं है। किसानों ने बताया कि उन्होंने जंगल साफ कर वर्षों से खेती योग्य भूमि तैयार की है, लेकिन वह राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होने से ऋण पुस्तिका में भी प्रतिबिंबित नहीं हो पा रही है।

किसानों का कहना है कि नक्सली दबाव के कारण कई किसानों की जमीनें कब्जे में हैं, जिससे वे खेती नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि ऐसे कृषकों की भूमि का पुनः सीमांकन कर उन्हें वैध अधिकार दिया जाए, ताकि भविष्य में विवाद की स्थिति न बने।

साथ ही ग्रामीणों ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा बहाली की भी मांग की। उन्होंने बताया कि ग्राम सतवा में पूर्व में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्षों से बंद है, जिसके कारण ग्रामीणों को मामूली इलाज के लिए भी नेलसनार या भैरमगढ़ के स्वास्थ्य केन्द्रों तक 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

अब सातवा और बेलनार के बीच पुलिस का अस्थायी कैम्प स्थापित हो चुका है, जिससे क्षेत्र में जनसंख्या और आवागमन दोनों बढ़े हैं। ऐसे में स्वास्थ्य केन्द्र का पुनः संचालन आवश्यक हो गया है। ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि सातवा और बेलनार के मध्य स्थित शासकीय भूमि पर स्थायी भवन बनाकर केन्द्र को नियमित रूप से संचालित किया जाए, ताकि स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों को भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके।

ग्रामीणों की इस सामूहिक पहल से इन्द्रावती नदी उसपार की उपेक्षित बस्तियों की आवाज एक बार फिर प्रशासन तक पहुंची है। अब देखना यह है कि शासन प्रशासन इन दो महत्वपूर्ण मांगों पर कितनी गंभीरता से कदम उठाता है।

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