
जर्मन मेहमानों को जशपुर की जनजातीय संस्कृति ने किया मंत्रमुग्ध
रायपुर,
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रेरणा और राज्य सरकार की पर्यटन संवर्धन नीतियों के अंतर्गत जशपुर अब विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना रहा है। इसकी झलक हाल ही में तब देखने को मिली जब जर्मनी से आए पर्यटक बर्नहार्ड और फ्रांजिस्का जशपुर की जनजातीय संस्कृति, कला और आत्मीयता से गहराई से प्रभावित हुए।
दोनों पर्यटकों ने क्षेत्रीय स्टार्टअप “ट्रिप्पी हिल्स” के अनुभवात्मक पर्यटन कार्यक्रम के तहत जनजातीय जीवन की बारीकियों को समझा। यात्रा की शुरुआत मलार समुदाय से हुई, जो अपने उत्कृष्ट हस्तनिर्मित आभूषणों और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। इन कारीगरों की रचनात्मकता ने विदेशी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के गांव में उन्होंने पारंपरिक जीवनशैली और प्रकृति के साथ गहरे संबंध को महसूस किया। वहीं अगरिया समुदाय के दौरे में लौह गलाने की पारंपरिक तकनीक का जीवंत प्रदर्शन हुआ, जिसने दोनों अतिथियों को आश्चर्यचकित कर दिया। यात्रा का समापन स्थानीय हाट-बाजार में हुआ, जहाँ रंगीन वस्त्र, मिट्टी की खुशबू और पारंपरिक जनजातीय संगीत ने जशपुर की जीवंत सांस्कृतिक धड़कन को अभिव्यक्त किया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हमेशा इस बात पर बल दिया है कि जशपुर की जनजातीय संस्कृति केवल धरोहर नहीं, बल्कि पर्यटन विकास का सशक्त माध्यम भी है। उनके नेतृत्व में जशपुर में सड़क, संचार और सुविधाओं के प्रसार से नए पर्यटन मार्ग तैयार हो रहे हैं। “कल्चर देवी” और “अनएक्सप्लॉरड बस्तर” जैसे संगठनों के सहयोग से स्थानीय समुदायों को भी अपने हुनर को दुनिया के सामने लाने का अवसर मिला है। यह अनूठा सांस्कृतिक अनुभव इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति अब वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन रही है, जहाँ परंपरा, प्रकृति और आधुनिकता का सुंदर संगम नजर आता है।



