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बोधघाट परियोजना के खिलाफ हितालकूडूम में उभरा जनाक्रोश

परियोजना के स्थायी बंद की मांग हुई तेज

बीजापुर (हिन्दसत)। बस्तर के हितालकूडूम (जिला बीजापुर) में आयोजित विशाल जनसभा में बोधघाट परियोजना के विरोध की आवाज़ तेज हो गई। लेबर पार्टी ऑफ इंडिया छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष एवं एबोरिजिनल ट्राइब्स के अध्यक्ष महेश स्वर्ण ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बोधघाट परियोजना का पुनः आरंभ “विकास नहीं, विनाश” का संकेत है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह परियोजना 18 पंचायतों और 56 गाँवों के घर, खेत, वन एवं इंद्रावती नदी के अस्तित्व को खतरे में डाल देगी।

महेश स्वर्ण ने कहा कि हम न मुआवजा चाहते हैं, न पुनर्वास की योजना। हमारी एक ही मांग है कि बोधघाट परियोजना को पूरी तरह बंद किया जाए।

जनसभा में बोधघाट संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवराम मंडावी, कांग्रेस नेत्री और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा, जिला पंचायत सदस्य सुलोचना कर्मा, पूर्व सरपंच संघ अध्यक्ष कोपा कुंजाम, संघर्ष समिति उपाध्यक्ष केदारनाथ राणा और किसान नेता शिवा स्वर्णकार समेत अनेक पंचायत प्रतिनिधियों ने भी परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग दोहराई।

महेश स्वर्ण ने कहा कि पाँचवीं अनुसूची और पेसा कानून के तहत ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी भी परियोजना की स्वीकृति संविधान के विरुद्ध है। इसके बावजूद सरकार द्वारा बिना जनसहमति के योजना आगे बढ़ाना इस बात का संकेत है कि निर्णय जनता के लिए नहीं, उद्योगपतियों के हितों को साधने के लिए लिया जा रहा है।

सभा के अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें बोधघाट परियोजना को तुरंत और स्थायी रूप से बंद करने की बात कही गई। महेश स्वर्ण ने बताया कि यह आंदोलन अब पूरे बस्तर की आवाज़ है और संघर्ष परिणाम तक जारी रहेगा।

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