नवसाक्षर लेखन कार्यशाला का तीसरा दिन : लेखकों की कहानियों का मिदपू गांव में हुआ क्षेत्र परीक्षण
विद्यार्थियों ने दी सीधी प्रतिक्रियाएँ, समापन पर हुआ सम्मान समारोह

ईटानगर/दोईमुख। राजीव गांधी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय नवसाक्षर लेखन कार्यशाला का तीसरा और अंतिम दिन गुरुवार को सफलतापूर्वक पूरा हुआ। अंतिम दिवस पर प्रतिभागी लेखकों द्वारा तैयार की गई कहानियों का क्षेत्र परीक्षण मिदपू गांव में किया गया, जहाँ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
लेखकों ने अपनी कहानियाँ बच्चों और नवसाक्षरों को सुनाईं। विद्यार्थियों ने कहानियों की भाषा, शैली, विषय, पात्र और संदेश पर अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। यह अनूठा अनुभव लेखकों के लिए अत्यंत प्रेरक रहा। कार्यशाला के विशेषज्ञ वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि प्रतिभागियों की कहानियाँ विषय-वस्तु, पात्र और स्थानीय परिवेश के कारण प्रकाशन योग्य प्रतीत होती हैं। वहीं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के परियोजना अधिकारी डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने कहा कि यह NBT का एक अनूठा प्रयोग है, जिसमें स्थानीय लेखक लिखते हैं और स्थानीय पाठक उनकी उपयोगिता पर निर्णय देते हैं।

हिंदी विभाग के स्थानीय समन्वयक प्रो. ओकेन लेगो ने कहा कि यह प्रयास पूर्वोत्तर में साहित्यिक जागरूकता को एक मिशन की तरह आगे बढ़ा सकता है, जिससे स्थानीय रचनाकारों और पाठकों दोनों को लाभ मिलेगा। समापन अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ओर से प्रो. ओकेन लेगो और गिरीश पंकज को सम्मान चिह्न प्रदान किया गया। क्षेत्र परीक्षण के बाद स्थानीय कलाकारों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

करीब 100 से अधिक विद्यार्थी इस संवाद में शामिल हुए और मंच से अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा की गई। तीन दिवसीय कार्यशाला लेखकों, विद्यार्थियों और आयोजकों के लिए एक यादगार अनुभव बन गई।




