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बीजापुर में आदिवासियों की जमीन हड़पने का बड़ा मामला उजागर

विधायक विक्रम मंडावी ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, बोले “आदिवासियों की पैतृक जमीनें कैसे गैर-आदिवासियों के नाम कर दी गई?”

बीजापुर (हिन्दसत)। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में आदिवासी परिवारों की पैतृक जमीनों को सुनियोजित तरीके से हड़पने का मामला सामने आया है। बुधवार को जिला मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने प्रशासन, भू-माफियाओं और राजस्व तंत्र की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि “पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्र में आदिवासियों की जमीनें छल, कपट और कूटरचित दस्तावेजों से गैर-आदिवासियों के नाम की जा रही हैं। यह सिर्फ जमीन का मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व पर सीधा हमला है।”

41 हेक्टेयर से अधिक जमीन गैर-आदिवासी के नाम—फिर दूसरे को बेच दी गई

बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने बताया कि तहसील उसूर के ग्राम संकनपल्ली में करीब 41 हेक्टेयर कृषि भूमि, जो पीढ़ियों से आदिवासी परिवारों के नाम दर्ज है, पहले गांव निवासी रामसिंग यादव (जाति रावत) के नाम की गई और बाद में उसने पूरी जमीन जगदलपुर के कमलदेव झा व अन्य को बेच दी।

विधायक के अनुसार दर्जनों खसरों में दर्ज ये जमीनें यालम, जव्वा, टिंगे आदि परिवारों की हैं, जिन्हें न तो बिक्री की जानकारी थी और न ही ग्रामसभा की अनुमति ली गई।

गांव को नहीं लगी भनक—प्रशासन पर उठे सवाल

विधायक विक्रम मंडावी ने बताया कि पूरा सौदा “गुपचुप तरीके” से किया गया। न ग्रामसभा को भरोसे में लिया गया, न पंचायत को सूचना दी गई। ग्रामीणों को तब पता चला जब नामांतरण और रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो गई।

उन्होंने प्रशासन और राजस्व अधिकारियों से किया सवाल

  • गैर-आदिवासी कमलदेव झा के नाम इतनी बड़ी आदिवासी भूमि कैसे दर्ज हो गई?
  • एक व्यक्ति ने एक साथ इतने खसरे कैसे खरीद लिए?
  • तहसीलदार, पटवारी व उप-पंजीयक ने बिना ग्रामसभा अनुमति रजिस्ट्री और नामांतरण कैसे कर दिया?
  • क्रेता द्वारा दस्तावेजों को ऑनलाइन दर्ज कराने पटवारी पर दबाव क्यों डाला जा रहा है?

पहले भी हुआ है जमीन का घोटाला, पुराना मामला भी उठाया

विक्रम मंडावी ने कहा कि बीजापुर में आदिवासी जमीनों पर इस तरह की कार्रवाई नई नहीं है। उन्होंने बताया कि “सलवा जुडूम के दौरान विस्थापित हुए नदी पार के ग्रामीणों की 127 एकड़ भूमि को भी रायपुर के एक उद्योगपति के नाम गुपचुप तरीके से रजिस्ट्री किए जाने का मामला पहले सामने आया था। यह लगातार दूसरी बड़ी घटना है, जो साबित करती है कि प्रशासनिक मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी जमीनें गैर-आदिवासियों को नहीं बेची जा सकतीं।”

उच्च-स्तरीय जांच और FIR की मांग

विधायक ने पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच, दोषी अधिकारियों व भूमाफियाओं पर तुरंत FIR, अवैध रजिस्ट्री और नामांतरण रद्द करने और आदिवासियों की जमीन वापस दिलाने की मांग की।

साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए सख्त कानूनी व्यवस्था की जरूरत बताई। संकनपल्ली के ग्रामीणों ने मीडिया प्रतिनिधियों से कहा कि यदि उनकी जमीन वापस नहीं की गई तो वे बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

प्रेस वार्ता में पीड़ित परिवारों के साथ जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष लालू राठौर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुड़ियम, पूर्व उपाध्यक्ष कमलेश कारम, पीसीसी सदस्य वेणुगोपाल राव, प्रवीण डोंगरें, मनोज अवलम, ज्योति कुमार सहित कांग्रेस के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

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