जेल अभिरक्षा में आदिवासी नेता जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत : सर्व आदिवासी समाज ने उठाए गंभीर सवाल

समाज ने कहा हाईप्रोफाइल मर्डर, रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में हो न्यायिक जांच

जगदलपुर। सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग ने कांकेर जिले के पूर्व जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ आदिवासी नेता जीवन ठाकुर की जेल अभिरक्षा में हुई मौत को “राजनैतिक सिस्टम द्वारा रची गई साज़िश” बताते हुए रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में विशेष जांच आयोग गठित करने की मांग की है। यह जानकारी संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।
वनाधिकार पट्टा के बहाने फर्जी एफआईआर का आरोप
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दिवंगत ठाकुर के खिलाफ वनाधिकार पट्टा को फर्जी बताकर सुनियोजित रूप से एफआईआर कराई गई, जबकि तहसीलदार को खुद इस कानून की प्रक्रिया की जानकारी है या नहीं— इस पर भी सवाल उठाए गए।
समाज ने पूछा कि—
- गलत वनाधिकार पट्टा निरस्त करने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?
- एफआईआर किसके दबाव में कराई गई?
बीमार होने के बावजूद जमानत न देना संदिग्ध : समाज
समाज ने आरोप लगाया कि अन्य आरोपियों को जमानत मिली, लेकिन जीवन ठाकुर को बीमार होने के बावजूद जमानत नहीं दी गई। इसे पूरी तरह राजनैतिक दबाव बताया गया।
रायपुर जेल शिफ्टिंग और मेकाहारा अस्पताल ले जाने पर भी प्रश्नचिन्ह
प्रकाश ठाकुर ने कहा कि-
- 2 दिसंबर को बिना परिवार को जानकारी दिए उन्हें केंद्रीय जेल रायपुर क्यों भेजा गया?
- 4 दिसंबर की सुबह अचानक अस्पताल ले जाने का आदेश किसने दिया?
- 2 से 4 दिसंबर तक उनकी स्वास्थ्य स्थिति के प्रमाण सार्वजनिक क्यों नहीं किए जा रहे?
साथ ही, ब्लड टेस्ट प्रिस्क्रिप्शन में नाम और उम्र को काटने-छांटने को “हत्या छिपाने की साज़िश” बताया गया है।
जेल–पुलिस–राजस्व अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
समाज का आरोप है कि यह पूरा मामला हाईप्रोफाइल मर्डर है और इसके पीछे चारामा के राजनीतिक–भूमाफिया तथा उच्च अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दिवंगत ठाकुर भू–माफियाओं के खिलाफ लगातार कानूनी संघर्ष कर रहे थे, जिससे नाराज तत्वों ने षड्यंत्र रचा।
विशेष जांच आयोग व अधिकारियों के निलंबन की मांग
सर्व आदिवासी समाज ने नीचे सूचीबद्ध अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की है
- तहसीलदार चारामा
- टीआई चारामा
- तत्कालीन जेल अधीक्षक कांकेर
- केंद्रीय जेल रायपुर अधिकारी
- मेकाहारा अस्पताल से जुड़े अधिकारी
साथ ही इनके तत्काल निलंबन और संगठित हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
9 दिसंबर को बस्तर संभाग बंद का ऐलान
5 दिसंबर को हुई वर्चुअल बैठक में निर्णय लिया गया कि
- रविवार को सभी जिला इकाइयों में बैठक
- सोमवार को जिला मुख्यालयों में सूचना
9 दिसंबर (मंगलवार) को पूरे बस्तर संभाग में बंद और उग्र प्रदर्शन
बस्तर चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स से बंद का समर्थन करने की अपील की गई है। संगठन ने चेतावनी दी है कि स्थिति की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन कांकेर और राज्य सरकार की होगी।



