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वेटावागु कैंप में ग्रामीण की मौत पर दो अलग-अलग दावे, मामले ने पकड़ा तूल

भाजपा सरकार में आदिवासी सुरक्षित नहीं – विक्रम मंडावी

बीजापुर। तर्रेम थाना क्षेत्र के वेटावागु सीआरपीएफ कैंप में ग्राम रेकापल्ली के ग्रामीण माड़वी भीमा (48 वर्ष) की मौत को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जहां एक ओर सुरक्षा बलों ने इसे आतंक के भय से हुई आत्महत्या बताया है, वहीं दूसरी ओर बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने पूरे प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

सुरक्षा बलों का दावा : अभियान के बाद कैंप में आत्महत्या

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित CPI माओवादी संगठन की गतिविधियों के विरुद्ध लगातार चल रहे अभियानों के तहत वेटावागु सीआरपीएफ कैंप से बीते दिनों एंटी-नक्सल सर्च अभियान शुरू किया गया था। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि अभियान के दौरान ग्रामीणों से बातचीत कर नक्सली गतिविधियों से संबंधित सूचनाएँ ली गईं।

इसी दौरान रेखापल्ली निवासी माड़वी भीमा व अन्य ग्रामीणों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सर्च की कार्रवाई की गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जंगल क्षेत्र से माओवादियों द्वारा छिपाई गई IED, विस्फोटक सामग्री और अन्य डंप सामग्री बरामद की गई।
06 दिसंबर को टीम अभियान पूरी कर भीमा और बरामद सामग्री के साथ कैंप लौटी। रात में भोजन के बाद भीमा टहलने निकला और करीब 20:30 बजे उसे तौलिये से फांसी लगे अवस्था में पाया गया।
चिकित्सा परीक्षण में उसकी मौत की पुष्टि हुई।

विधायक विक्रम मंडावी का आरोप : आदिवासियों की सुरक्षा खतरे में

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने कहा कि “भाजपा सरकार में आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं। जेलों और कैंपों में लगातार आदिवासियों की मौतें हो रही हैं।” उन्होंने इस घटना को गंभीर बताते हुए उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

ग्रामीणों में आक्रोश, मामले ने लिया राजनीतिक मोड़

घटना के बाद ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में नाराजगी देखी जा रही है। सुरक्षा बलों का दावा और विधायक के आरोप से दोनों ने मामले को संवेदनशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया है। प्रशासनिक जांच के परिणाम का इंतजार है।

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