छत्तीसगढ

शहर अध्यक्ष के लिए सत्ता और संगठन में रस्साकशी……

शहर अध्यक्ष के लिए सत्ता और संगठन में रस्साकशी……

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम अपनी कार्यशैली से पूरे कार्यकाल में सुर्खियों में रहे है। वैसे भी मरकाम जोगी गुट से संबंध रखते थे और वे अब अपना गुट बना लिया है ।

अभी देखना है कि वह अपने गुट के नेता को शहर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद दे सकते हैं या नहीं या पूरे मन से कोशिश करके दिला सकते हैं वैसे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी निर्णय मोहन मरकाम अपने मन से अपने विवेक से लेते हैं और इसके लिए वे प्रख्यात है।

अब यह देखना होगा के शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए वे मुख्यमंत्री की सलाह लेते हैं या नहीं या सर्वसम्मति से शहर अध्यक्ष चुना जाता है कि नहीं वैसे भी यह सभी चीजें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन के बाद ही होना तय माना जा रहा है।

सर्व विदित है कि संगठन चुनाव की पूरी प्रक्रिया ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन के बाद होना तय मानी जा रही है फिर भी लोग जुगाड़ से अपने-अपने आकाओं के माध्यम से अपना पद बचाने के लिए लगे हुए हैं । उसी की कड़ी में मोहन मरकाम भी चाहते हैं

कि जाते-जाते वह अपने खास समर्थक को शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आखरी नियुक्ति कर दिया जाए । लेकिन अधिवेशन को देखते हुए ऐसा लगता नहीं है ? क्या अधिवेशन के पहले कुछ फेरबदल होगा या नहीं कोई नहीं बता सकता। वैसे भी प्रदेश के संगठन चुनाव की प्रक्रिया अंतिम रूप मार्च के महीने तक संभवत खत्म होगी ।

नए प्रदेश अध्यक्ष बनते तक मोहन मरकाम अपने संगठन को और अपने गुट को मजबूती के साथ संभालने में सक्षम होंगे और अपनी प्रतिभा का लोहा आगामी बड़े कार्यक्रम तक दिखाते रहेंगे ऐसा राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है

शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए पीपीसी मोहन मरकाम ने अपने पसंदीदा जोगी गुट के प्रमुख मारवाड़ी नेता युवा और तेजतर्रार को अपनी पहली पसंद बना रखा है ।

उसी के आधार पर वे अपने मन के अनुसार शहर अध्यक्ष बनाने में जुगाड़ में लगे हैं । लेकिन उक्त तेजतर्रार युवा नेता के खिलाफ कई पुराने और वरिष्ठ कांग्रेसी जा सकते हैं । पश्चिम के विधायक भी उनका विरोध करेंगे । ऐसा मानना है लेकिन शहर के अधिकांश कांग्रेसी इस बात से सहमत हैं

कि शहर कांग्रेस कमेटी का ताज किसी अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को दिया जाना जरूरी है । रायपुर में चारों विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर भारी तादाद में है और चारों सीटों में इनका दबदबा दिखता है इसलिए मुसलमानों को दरकिनार करना कांग्रेस पार्टी के लिए नामुमकिन होगा ।

बल्कि मुश्किल भी हो सकता है कि संगठन चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव है इस अंतराल में मुसलमानों को संतुष्ट करना कांग्रेस पार्टी की प्रथम प्राथमिकता रहेंगी । क्योंकि मुस्लिमों को विधानसभा या लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाता है । अल्पसंख्यक आयोग का पद नहीं दिया गया ।

इसलिए इसकी भरपाई करने के लिए शहर अध्यक्ष का पद मुसलमानों को नवाजा जाएगा, ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है । मुस्लिम नेताओं में सबसे आगे है कमरान अंसारी जो वर्तमान में पार्षद है और उन्हीं के दफ्तर से इस वक्त शहर कांग्रेस कमेटी का संचालन भी हो रहा है ।

हालांकि यह संचालन नए कांग्रेस भवन बनने के कारण वैकल्पिक तौर पर किया जा रहा था, जिसका लाभ भी कामरान अंसारी को मिलता दिख रहा है । सबसे ज्यादा सक्रिय और जुझारू पार्षद के रूप में वे अपने कार्य को पूर्ण करते चले जा रहे हैं जो तारीफे काबिल है ।

ऐसा लगभग वार्ड के सभी नागरिकों का कहना है । दूसरे नंबर पर सलाम रिजवी है जो मुस्लिम नेतागिरी में अपने आपको हर जगह दखल रखने में कामयाब रहते हैं। तीसरे नंबर पर पश्चिम विधायक की पहली पसंद अजीज भिंसरा हो सकते हैं। अजीज भीमसरा पश्चिम विधायक के साथ बरसों से जुड़े हैं

और इसका लाभ उन्हें मिल सकता है बहरहाल अब देखना है कि आगामी शहर अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी का ताज किसके सिर पर सजता है। क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका सीधा लाभ मिलते देका जा रहा है और कांग्रेस की इमारत को बुलंद करने वाला होगा। जो सत्ता में वापसी का सबसे बड़ा मास्टर कार्ड बनेगा।

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