छत्तीसगढ

बस्तर के स्कूलों में नशाखोरी : बैग में बीड़ी, सिगरेट, गांजा और नीशीली दवा ले जा रहे बच्चे, मेडिकल में खुलेआम बिक रही प्रतिबंधित दवाएं, जानिए क्या कहते हैं पालक और अफसर…

युवा पीढ़ी इनसे कर रहे नशा

बोनफिक्स, नेलरिमूवर, गांजा, क्विकफिक्स, थीनर, बीड़ी, चिलम, नशीली गोलियां, शराब खुलेआम बिक रही. कोडीन फास्फेट, स्पायरो, कोरेक्स, पायरोजीवन ,कोटेकान, सिरप, फ्लोफाजीमीन, एलप्राक्स, ये सभी प्रतिबंधित दवाएं हैं,

जो दवा दुकानों में खुलकर बिक रही है. इनका उपयोग उपचार में कम लोग नशे में ज्यादा कर रहे हैं. इन नशे की सामाग्री के लगातार सेवन से दिमागी हालत खराब होती है और लोग डिपरेशन और मेंटल डिस्टर्व से पीड़ित हो जाते हैं.

एक बड़ा कारण ये भी

स्कूलों में छात्रों को अब शिक्षक का खौफ नहीं रहा. पहले जो शिक्षक का डर और सम्मान था वो खत्म हो चुका है. अगर शिक्षक ने किसी छात्र को डांट-फटकार लगा दी तो छात्र ही नहीं पालक भी उनके साथ आ खड़े होे जाते हैं.

एक वजह यह भी है कि छात्र अब नशे के लिए सबसे सुरक्षित जगह स्कूल को समझने लगे है और घड्डले से स्कूल बैग में नशे का सामान लेकर ही नहीं जा रहे, वो स्कूलों में नशा भी करने लगे हैं.

शिक्षकों की भी लापरवाही

थोड़ी लापरवाही शिक्षकों की भी है. पहले और अभी के शिक्षकों में बहुत परिवर्तन भी आया है. गुरु शिष्य की परंपरा भी खत्म होती जा रही. बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिल रहे, जहां कई बार गुरु ही नशे में पाए जाते हैं.

धरना प्रदर्शन से स्कूलों में कम हजारी गुरुओ की भी रहती है. अक्सर इसका लाभ भी छात्र उठाकर गलत दिशा में जा रहे हैं. स्कूलों में छात्रों को किताबी ज्ञान के अलवा संस्कार और व्यहारिक ज्ञान की भी जरूरत है.

जानिए क्या कहते हैं पालक

उमेश जोशी, संतोष चैबे, अखिलेश, मनीष शर्मा, अन्नपूर्णा जोशी का कहना है कि आज से 10 साल पहले ऐसी परिस्थितियां नहीं थी. कम उम्र के बच्चों में नशे के प्रति एक जागरूकता थी.

इसकी बड़ी वजह शिक्षक और पालकों का डर बच्चों में होता था, मगर वह डर अब बच्चों में देखने को नहीं मिलता है. इसकी बड़ी वजह बच्चों के हाथों में मोबाइल, बच्चों को पालकों द्वारा समय नहीं देना,

स्कूलों में शिक्षकों का डर बच्चों में नहीं होना और कई जगह स्कूलों में यह भी देखने को मिल रहा है कि कई शिक्षक भी नशे की हालत में स्कूलों में आते हैं और नशे की हालत में ही बच्चों को पढ़ाते हैं. इसका दुष्परिणाम भी सामने आ रहा है, इसलिए सभी को मिलकर जागरूक होने की जरूरत है.

जिला स्तरीय टीम की अब तक नहीं हुई बैठक

प्राचार्य महात्मा गांधी आत्मानंद स्कूल के दिनेश शुक्ला ने कहा, यह बेहद गंभीर और चिंता का विषय है. छोटे-छोटे क्लास के बच्चे स्कूल के बैग में नशे की सामग्री लेकर आ रहे हैं.

कुछ पकड़े भी गए हैं. हमने प्रयास किया, पालकों को भी समझाइश दी. सिर्फ शिक्षक ही नहीं पालको को भी अपने बच्चों पर ध्यान देना होगा. नशा विरोध के लिए भी जिला स्तर पर टीम बनी है, मगर कभी बैठक नहीं हुई. अब पहले की अपेक्षा छात्रों में गुरुओ के प्रति सम्मान भी कम हुआ और डर भी कम हुआ है. यह भी एक बड़ी वजह है.

कोरोना काल में स्कूल बंद होना बड़ा कारण: प्राचार्य

टेरसा फ्रांसिस प्राचार्य आत्मानंद इंग्लिश स्कूल जामकोटपारा कोंडागांव ने कहा, इसका सबसे बडा कारण कोरोना के दो साल स्कूलों का बंद होना और आनलाइन पढ़ाई बना. सभी बच्चों के हाथ मोबाइल पर आए. पढ़ाई के साथ बहुत सी गलत चीजों पर बच्चों का ध्यान चला गया. कम उम्र में बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं.

मोबाइल और इंटरनेट से कम उम्र में नशे की ओर जा रहे हैं. हम लगातार कोशिश कर रहे हैं, समझाईश दे रहे हैं. पालकों की भी लगतार समझा रहे. उसके बाद भी छात्र गलती करते हैं तो स्कूल प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा. सभी पालकों की मिटिंग बुलाकर यह बात कही है.

बच्चों को समझाने लगा रहे क्लास: डीईओ

इस मामले में डीईओ अशोक पटेल का कहना है कि सबसे बड़ा कारण कोविड काल के दो साल मोबाइल की पढ़ाई भी बना है. उसकी बुराई भी सामने आई. अब भी छात्र मोबाइल छोड़ नहीं पा रहे.

छात्रों के नशे की शिकायते आ रही है. स्कूलों में अंतिम परेड सिर्फ बच्चों को समझाने में लगा रहे. नशे से दूर रहने पालकों से भी काउनसिलिंग कर रहे हैं.

दवा दुकानदारों को देंगे समझाइश: सीएमएचओ

कोंडागांव सीएमएचओ डाॅं. आरके सिंह ने कहा, जो प्रतिबंधित दवाओं के लिए डग्स निरीक्षक को स्पष्ट निर्देश दिए हैं. दवा दुकानों में जाकर छापामार कार्रवाही करने कहा गया है

दुकानों पर सख्त कार्रवाही की जाएगी. इसके लिए हम जल्द ही दवा दुकानदारों की बैठक लेकर उन्हें समझाइश देंगे, नहीं माने तो सख्त कार्रवाई भी करेंगे.

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