मध्यप्रदेश

जालसाजी करने वाले शराब कारोबारियो के खिलाफ एक्शन मोड में आबकारी विभाग

भोपाल। अवैध शराब कारोबारियों और फर्जी ढंग से शराब के ठेके देने वाले के खिलाफ आबकारी विभाग इन दिनों पूरी तरह से एक्शन मोड में है। विभाग पूर्व में शराब कारोबारियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करा चुका है, ताजा मामले में आबकारी आयुक्त दीपम रायुचरा ने एक और फर्जी एफडीआर का खुलासा करते हुए एफआईआर दर्ज कराए जाने की बात कही है। विभाग द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में दीपक रायूचरा ने जानकारी देते हुए बताया कि कोहेफिजा थाना इलाके में आने वाले लालघाटी क्षेत्र में राठौर एंड नाहटा एसोसिएशन द्वारा दो कंपोजिट मदिरा की दुकानों का संचालन किया जा रहा था। इस ठेके का डिस्ट्रीब्यूशन अप्रैल 2023 में किया गया था, नियमानुसार ठेका लेने वाले कारोबारी को आबकारी विभाग को बतौर सिक्योरिटी अमाउंट के तौर पर बैंक गारंटी जमा करानी होती है। लालघाटी स्थित शराब के ठेके को भोपाल के रहने वाले संजू मेहता, सुशील और सुरेंद्र ने लिया था। उन्हें 10 अप्रैल को 1 करोड़ 84 लाख की बैंक गारंटी जमा करनी थी। ठेका लेने के लिए तीनों आरोपियों ने जालसाजी करते हुए फर्जी बैंक गारंटी बनवाया और विभाग को सौंप दिया। ठेका लेते समय समूह द्वारा विभाग को जो बैंक गारंटी दी गई थी, वह सिलीगुड़ी वेस्ट बंगाल की बनी थी, जबकि समूह का लाइसेंसी पता भोपाल का ही था। संदेह होने पर विभाग ने उक्त बैंक गारंटी को चैक कराने के लिए संबंधित बैंक से संपर्क किया था। बैंक ने उन्हें एफडीआर की जांच करते हुए बताया कि यह एफडीआर उनके बैंक से जारी नहीं की गई है, और पूरी तरह फर्जी है। बैंक रिपोर्ट आने के बाद कलेक्टर द्वारा समूह के लाइसेंस निरस्त करते हुए एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। आबकारी आयुक्त दीपक रायूचरा ने बताया कि इसकी लिखित शिकायत आबकारी विभाग में जिला सहायक अधिकारी संदीप तोमर द्वारा कोहेफिजा थाने में की गई थी। शिकायत की जॉच के बाद पुलिस ने आरोपियों संजू मेहता, सुशील और सुरेंद्र के खिलाफ फर्जी दस्तावेज लगाकर धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की जालसाजी करने वाले शराब व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है] और लालघाटी ग्रुप के नए टेंडर आबकारी विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। साथ ही इस तरह की जालसाजी पर अंकुश लगाने और विभाग को राजस्व हानि से बचाने के लिए सभी समूह द्वारा दी गई बैंक गांरटी को चेक किया जा रहा है, और ऐसी  जालसाजी से विभाग को जो राजस्व हानि हुई है, जांच के बाद उसकी रिकवरी के लिए एक्शन लिया जाएगा। गौरतलब है, कि मध्यप्रदेश में फर्जी एफडीआर को लेकर यह चौथा मामला सामने आया है, बता दें कि इंदौर जबलपुर भोपाल सहित कई जिले ऐसे हैं, जिसमें शराब व्यापारियों ने शराब की दुकानों के टेंडर डालते समय उनमें फर्जी एफडीआर के पेपर लगाए है, ऐसे ही एक मामले में इंदौर में पदस्थ तत्कालीन एसी राज नारायण सोनी को सस्पेंड किया गया था।

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