मध्यप्रदेश

पं.प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने चिलचिलाती धूप में पहुंचे लाखों श्रद्धालु

भोपाल। कुबेरेश्वर धाम के कथाचार्य पं. प्रदीप मिश्रा शिवमहापुरण कथा राजधानीवासियों को सुना रहे हैं। पं. मिश्रा पहली बार भोपाल में कथा कहने आये हैं। इसलिए श्रद्धालुओं का उत्साह भी देखते ही बन रहा है। करोंद क्षेत्र में पीपुल्स मॉल के पीछे हो रहे इस धार्मिक अनुष्ठान के पहले दिन ही तेज गर्मी के बीच भी लाखों लोग पहुंचे थे।
श्रद्धालुओं से खचाखच भरे मैदान को देखते हुए कथाचार्य ने श्रद्धालुओं के प्रति आभार भी व्यक्त किया। पं. मिश्रा ने भगवान शिव की महत्ता बताते हुए कहा कि भगवान शंकर की करुणा और कृपा संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। उनकी कृपा दृष्टि से ही यह जगत संचालित है। जब तक शिव की कृपा नहीं होती, जीवन में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते।
उन्होंने भक्तिभाव से कथा सुन रहे श्रद्धालुओं को बताया कि शिवपुराण में 24 हजार श्लोक हैं। उनमें से एक श्लोक ही नहीं, बल्कि एक शब्द मात्र को भी जीवन में धारण करने से इस मानव देह के लिए सिद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें मनुष्य का शरीर तो मिल गया, लेकिन हमने इसके महत्व को नहीं समझा तो सब बेकार है। मानव देह का महत्व भगवान की भक्ति में है। उन्होंने बताया कि शिव अत्यंत दयालु महादेव हैं। शिवमहापुराण में देवराज ब्राम्हण का दृष्टांत देते हुए उन्होंने विश्वास दिलाया कि ह्दय से किया गया मंत्रजाप हमारे जीवन को सफल बना देता है।

बच्चों को संस्कार दें

स्वामी जी ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही संस्कार दें। यदि हम बच्चों को संस्कारित नहीं करेंगे तो उनमें अनुशासन का भाव नहीं आएगा। यदि बच्चों में अनुशासन नहीं होगा तो वे दु:शासन की तरह हो जाएंगे। अर्थात् संस्कारविहीन। आत्मा-परमात्मा के संबंधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारा अटैचमेंट, अटैची से नहीं, बल्कि उसमें रखी कीमती वस्तुओं से होता है। वैसे ही, देह में आत्मा और परमात्मा से अटैचमेंट कीजिए। परमात्मा के द्वार पर जाति नहीं, कर्म देखा जाता है।

राजा भोज की नगरी पर शिव की अनुकंपा

कथा की शुरुआत में पं. मिश्रा ने कहा कि राजा भोज की नगरी भोपाल पर शिव की महान अनुकंपा है, जो यहां महामृत्युंजय शिव पुराण कथा आयोजित हो रही है। जिसमें पहले ही दिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना भी भगवान शंकर की अनुकंपा है। वास्तव में भोपाल शिवमय हो गया है।

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