उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर है विश्व प्रसिद्ध, जाने विशेष महत्व
Mahakaleshwar Temple: उज्जैन यूं तो विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की वजह से है, लेकिन यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो विशेष महत्व रखते हैं। एक ऐसा ही भगवान मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर है। वैसे तो द्वादश ज्योतिलिंर्गों में से एक विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर का मंदिर है, जिनके बारे में मान्यता है कि वे अकाल मृत्यु के भय को समाप्त कर देते हैं, जिसके लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आते हैं लेकिन इस धार्मिक नगरी मे भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर भी है जहां पर भक्त की रक्षा करने के लिए भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को जंजीरो से बांध दिया। भगवान शिव के इसी चमत्कार के कारण वर्षभर जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ पर श्रद्धालुजन मंदिर मे विशेष पूजा अर्चना कर आयु और आरोग्यता की कामना करते हैं। यहां दर्शन मात्र से मृत्यु को परास्त करने का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
मंदिर जहां ऋषि मार्कंडेय ने काल को किया परास्त
मंदिर के पुजारी जय गुरु का कहना है कि मार्कण्डेश्वर ऋषि ने यहां काल को परास्त कर मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी। ऐसा कर वे चिरंजीवी हुए थे। इस मंदिर में काल अर्थात यमराज बंधन में बंधे हुए हैं। मंदिर में विराजित सिद्ध शिवलिंग दक्षिण दिशा की ओर है। यह मंदिर अत्यंत चमत्कारी है। मान्यता है भक्तों की रक्षा के लिए महाकाल काल को देख रहे हैं। मार्कण्डेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने से भक्तों को आयु आरोग्य की प्राप्ति होती है। मंदिर में प्रतिदिन ही काफी भीड़ रहती है लेकिन तीन वर्षों में एक बार आने वाले अधिक मास में सैकड़ों श्रद्धालु भगवान का पूजन-अर्चन करने पहुंचते हैं।
यहां ऋषि मार्कण्डेय ने मृत्यु पर की थी विजय प्राप्त
विष्णुसागर के तट पर चोरियासी महादेव मे 36 वा स्थान रखने वाले भगवान श्री मार्कण्डेश्वर महादेव का 5000 वर्षों पुराना मंदिर है। जो कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल का माना जाता है। मान्यता के अनुसार यह वही मंदिर है जहां ऋषि मार्कण्डेय ने काल को परास्त कर मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी और वे यही पर चिरंजीवी हुए थे। पद्म पुराण में इस बात का उल्लेख है कि ऋषि मृकंड मुनी ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया था, लेकिन उनके पुत्र ऋषि मार्कण्डेय की आयु अल्प थी जिसके कारण ऋषि मृकंड पुत्र ऋषि मार्कण्डेय की अल्प आयु को लेकर चिंतित रहने लगे।
महादेव ने यमराज को मंदिर में जंजीरों से बांध दिया था
पद्म पुराण के उत्तरकांड में मार्कण्डेय के चिरंजीवी होने की कथा मिलती है। कथा के अनुसार ऋषि मृकंड मुनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए पत्नी के साथ घोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने ऋषि से पूछा तुम्हें गुणहीन दीर्घायु पुत्र चाहिए या गुणवान अल्प आयु। इस पर ऋषि ने गुणवान पुत्र का वरदान मांगा जिस पर भगवान ने तथास्तु कहां और अंर्तध्यान हो गए। इसके उन्हें ऋषि मार्कण्डेय पुत्र रूप में प्राप्त हुए। जब मार्कण्डेय 12 वर्ष के हुए तो पिता मृकंड उनकी आयु को लेकर चिंतित रहने लगे। पुत्र के पूछने पर उन्होंने सारा वृतांत सुनाया। मार्कण्डेय आयु प्राप्त करने तथा चिरंजीवी होने की कामना से तपस्या करने लगे। अंत समय आने पर उन्हें यमराज अपने साथ लेने के लिए आए तो ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान शिव की प्रतिमा को दोनों हाथों से पकड़ लिया था। यमराज द्वारा मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिये फेंके गए पाश के कारण भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को मंदिर में जंजीरों से बांध दिया था।
रात तीन बजे खुलते हैं मंदिर के पट
मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर मे वैसे तो वर्ष भर ही मंदिर में अनेक आयोजन होते हैं, लेकिन श्रावण मास में मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर के पट रात 3:00 बजे से ही खुल जाते हैं। भगवान का विशेष पूजन-अर्चन कपूर आरती के बाद भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन होता है। मंगला आरती के बाद भक्त दिनभर भगवान का अभिषेक पूजन करते हैं। इस पूजन-अर्चन के बाद शाम चार बजे से पुन: भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन, शृंगार व सांध्य आरती का क्रम जारी रहता है। मंदिर में यमराज की जंजीरों से बंदी प्रतिमा के साथ ही समीप में नृत्यकार हनुमान जी की भी चमत्कारी प्रतिमा है।