छत्तीसगढ

बुजुर्ग महिला के इंदिरा आवास को सौतेले बेटे-बहु ने हड़पे, महिला आयोग पहुंचा मामला……

रायपुर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ अनीता रावटे, नीता विश्वकर्मा ने आज राज्य महिला आयोग कार्यालय शास्त्री चौक रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की।

आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने अपने कार्यकाल की आज 158 वीं जनसुनवाई की। रायपुर की आज 84 वीं जनसुनवाई में कुल 35 प्रकरण रखे गये थे। इनमे से 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए, शेष प्रकरण को आगामी सुनवाई में की जाएगी।

आज के एक प्रकरण में आवेदिका अपनी दृष्टिहीन बहन और गांव की सरपंच को लेकर सुनवाई में उपस्थित हुई। आवेदिका की बहन ने बताया कि उसका इंदिरा आवास उसके सौतेले बेटे बहु ने छीन लिए हैं

और उन्हें घर से निकाल दिए हैं। जिसकी शिकायत आवेदिका ने किया है। आयोग द्वारा अनावेदकगण को समझाइश दिया गया है कि इंदिरा आवास में आवेदिका के बहन के नाम पर होने की स्थिति पर उन्हें इंदिरा आवास को तत्काल देना होगा। आवेदिका की बहन की उम्र लगभग 75 वर्ष है।गांव की सरपंच ने बताया

कि ग्राम पंचायत के इंदिरा आवास के अभिलेख देखने से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। आयोग की काउंसलर को गांव में जाकर मौके पर समस्त दस्तावेज और बयान लेने के निर्देश देने के साथ ही आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया।इसके पश्चात प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई में जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्र बलौदाबाजार अधिकारी को 4 माह का समय दिया गया था।आज की सुनवाई में अनावेदिका ने जो दस्तावेज दिखाए है

उसके माह फरवरी के पत्र के अलावा कोई पत्राचार नही दिखा है।स्पष्टीकरण पूछने पर अनावेदिका ने बताया कि मौखिक रूप से रिमाइंडर किया था। किंतु अब तक जवाब नही आया है

आयोग द्वारा पुनः पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 में आवेदिका के पति का लगभग 28 से 29 हजार रुपये का बकाया वेतन की स्वीकृति के लिए पत्र आ गया है पर शेष 62 हजार 9 सौ 48 रुपये का वर्ष 2017 के माह मार्च से माह नवम्बर के वेतन का डिटेल जिस अधिकारी के पास है वे स्थानान्तरण हो गए हैं।

वे विशेष रोजगार कार्यालय रायपुर में पदस्थ है और उनके द्वारा अब तक किसी भी प्रकार से जवाब नहीं दिया गया है।अनावेदिका के द्वारा उनका डिटेल दिया गया है।

आगामी सुनवाई में विशेष रोजगार कार्यालय रायपुर में पदस्थ अधिकारी को समस्त दस्तावेज सहित उपस्थित होने हेतु आयोग से पत्र प्रेषित किया जाएगा।जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति की दुर्घटना में मृत्यु अनावेदकगण के कार्यस्थल में काम करने के दौरान हुई थी। मृत्यु के पश्चात आवेदिका को 3 किश्तों में 70 हजार रुपये अनावेदक के द्वारा दिया गया था।उसके बाद से आवेदिका को कोई मुआवजा राशि नही दिया गया है।

अनावेदकगण ने लेबर कोर्ट में मुआवजा राशि 8 लाख 41 हजार रुपये का चेक जमा कर दिया है। जिसे आवेदिका लेबर कोर्ट से प्राप्त कर सकती है। इस हेतु अनावेदकगण के दस्तावेज जो अभिलेख में प्रस्तुत किये गए हैं

उसकी प्रति आवेदिका को दिया गया जिसे आवेदिका 2 माह के भीतर इन दस्तावेज के आधार पर लेबर कोर्ट से राशि प्राप्त कर सकती है। राशि मिल जाने की स्तिथि में आयोग से इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पिता अनावेदक से उसकी सम्पत्ति में अपना हक मांगने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया है। अनावेदक ने बताया कि आवेदिका जो उसकी बहन है,

उसकी पहले पति से 2 बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की है। आवेदिका लगभग 8 वर्ष पूर्व नाबालिग बच्चों को छोड़कर दूसरी शादी कर ली है और उनसे भी 2 बच्चे है। आवेदिका के पहले पति भी दूसरा विवाह कर लिया है।

आवेदिका के पहले 2 बच्चे अनाथ हो गए थे।जिसे अनावेदक अपने अभिरक्षा में लेकर पालन-पोषण करना चाहता है,अनावेदक भाई को आवेदिका के पूर्व पति का नाम पता प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे इस प्रकरण की आगामी सुनवाई में निराकरण किया जाएगा।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आयोग द्वारा पति पत्नी के मध्य काउंसलिंग कराया गया जिसमें अनावेदक पति ने आवेदिका पत्नी को 2 लाख 50 हजार रुपये एकमुश्त भरण पोषण देने राजी हुआ।

आयोग ने दोनो को समझाइश दिया कि आपसी सहमति से तलाकनामा की शर्तें तैयार कर आयोग में प्रस्तुत करने कहा गया है जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

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