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शांति की नई सुबह : 210 माओवादी कैडरों का ऐतिहासिक आत्मसमर्पण 

“पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” हिंसा से विकास की ओर बड़ा कदम

 

जगदलपुर(हिन्दसत)। शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास की सबसे बड़ी घटना दर्ज हुई। एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य और अन्य वरिष्ठ माओवादी नेताओं सहित कुल 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर मुख्यधारा में लौटने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।

राज्य सरकार की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति, पुलिस एवं सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन और समाज के समन्वित प्रयासों से संभव हुआ यह आत्मसमर्पण, शांति और विकास की दिशा में एक निर्णायक उपलब्धि माना जा रहा है। यह आत्मसमर्पण “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” अभियान की ऐतिहासिक सफलता है।

हथियारबंद संघर्ष का प्रतीकात्मक अंत

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी कैडरों ने कुल 153 हथियार सौंपे, जिनमें 19 AK-47 राइफलें, 17 SLR, 23 INSAS राइफलें, 1 LMG, 36 .303 राइफलें, 4 कार्बाइन, 11 BGL लॉन्चर, 41 सिंगल बोर गन और 1 पिस्तौल शामिल हैं। यह हथियार समर्पण उनके द्वारा हिंसा और हथियारबंद संघर्ष से दूरी बनाने का प्रतीकात्मक संकेत है।

मुख्यधारा में लौटे शीर्ष माओवादी नेता

मुख्यधारा में शामिल होने वाले प्रमुख माओवादी कैडरों में —रूपेश सतीश (CCM), भास्कर  राजमन मांडवी (DKSZC), रनीता (DKSZC), राजू सलाम (DKSZC), धन्नू वेत्ती, संतू (DKSZC) और रतन एलम (RCM) जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं।

इन 210 आत्मसमर्पित माओवादियों में 111 महिला और 99 पुरुष कैडर हैं। इन पर कुल 9 करोड़ 18 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

शांति, संवाद और विकास की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर

इस सामूहिक पुनर्समावेशन को बस्तर में स्थायी शांति और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। राज्य सरकार का कहना है कि संवाद, पुनर्वास और अवसरों के माध्यम से ही नक्सल समस्या का स्थायी समाधान संभव है।

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