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नेलसनार हेमला पारा में भीषण जल संकट, 14 लाख ₹ खर्च का दावा, जमीन पर सिर्फ एक हैंडपंप

सोशल ऑडिट में ग्रामीणों की शिकायत, पानी के लिए हो रहे रोज झगड़े

बीजापुर (हिन्दसत)। जिले के भैरमगढ़ विकासखंड अंतर्गत नेलसनार ग्राम पंचायत के हेमला पारा में गंभीर पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत द्वारा हेडपंप स्थापना के नाम पर करीब 14 लाख रुपये की राशि खर्च दर्शाई गई, लेकिन आज भी गांव में पानी की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है।

ग्रामीणों के अनुसार बीते सत्र में पूर्व सरपंच एवं पंचायत सचिव द्वारा 15वें वित्त आयोग मद से हेडपंप स्थापना हेतु लगभग 14 लाख रुपये की राशि आहरित की गई, लेकिन जमीनी स्तर पर सिर्फ एक ही हैंडपंप लगाया गया, जो पहले से मौजूद था।

गांव के उपसरपंच किशोर नाग, वार्ड पंच महादेव कश्यप और कमला कोरसा ने बताया कि हेमला पारा में दो हैंडपंप दर्ज हैं, लेकिन केवल एक पुराना हैंडपंप ही चालू अवस्था में है। इसी एक हैंडपंप पर सुबह से देर शाम तक महिलाओं की भारी भीड़ लगी रहती है। पानी भरने को लेकर आए दिन विवाद और झगड़े होते हैं, जिससे गांव में तनाव की स्थिति बनी रहती है।

सोशल ऑडिट में उठा मामला

हाल ही में आयोजित सोशल ऑडिट के दौरान ग्रामीणों ने इस गंभीर समस्या को लेकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब पंचायत के रिकॉर्ड में लाखों रुपये खर्च होना दर्ज है, तो नए हेडपंप आखिर कहां हैं और उन्हें चालू क्यों नहीं किया गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में कार्य पूर्ण दर्शाया गया और धरातल पर कोई ठोस सुविधा नहीं मिली है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी समस्या से अनजान बने हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कार्रवाई और गांव में तत्काल वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था की मांग की है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

जल जैसी बुनियादी सुविधा को लेकर बनी यह स्थिति पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अब देखना होगा कि सोशल ऑडिट में उठी इस शिकायत पर प्रशासन कब और क्या ठोस कार्रवाई करता है।

सोशल ऑडिट में शिकायत दर्ज होने के बाद भी मामला जनपद पंचायत एवं संबंधित विभाग तक नहीं पहुंचा है। सूत्रों के अनुसार ऑडिट से जुड़े अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच और हेडपंप स्थापना से जुड़े अभिलेख तलब किए जाने के बाद भी कोई वैकल्पिक जल व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है।

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