छत्तीसगढ

कवर्धा : कुपोषण के खिलाफ अभिनव प्रयास…..

कवर्धा : कुपोषण के खिलाफ अभिनव प्रयास

OFFICE DESK : कबीरधाम जिले में कुपोषण खिलाफ जारी जंग को और प्रभावशाली बनाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्त राज्य बनाने की परिकल्पना को कबीरधाम जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को विस्तार और प्रभावशाली बनाया गया है।

इसके तहत जिले के 63 पारा माहेल्ले और विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति और आदिवासी बाहुल क्षेत्रों को चिन्हांकन किया गया है। इन सभी पारा मोहल्ले और मछरा टोले के बच्चों को आज से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत गरम पका पोषण आहार देना शुरू किया गया है।

कलेक्टर \जनमेजय महोबे और जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आंनद तिवारी ने ग्राम धनडबरा एवं बैगापारा कांपा के पारा मुहल्ले में इस अभिवन अभियान के तहत अपने हाथों से बच्चों को गरम पका भोजन पोषण थाली में परोस इस अभिनव की शुरूआत की।

गरम पका सुपोषण थाली में गरम चांवल, दाल, हरी सब्जी, खीर, पुड़ी और पापड़ शामिल किया गया है। कलेक्टर ने इस दौरान 6 माह के शिशु का अन्नप्रासन्न भी कराया। पारा मोहल्ले में गरम पका भोजन मिलने से बच्चें और माता पिता की चेहरे में खुशियां देखी गई। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को जिला खनिज न्यास निधि से विस्तार दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत कबीरधाम जिले में 1 वर्ष से 3 वर्ष के कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार दिया जा रहा है।

जिसमें जिले के विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति बाहुल परियोजनाओं को शामिल गया है। इसके अलावा सुपोषण अभियान के तहत 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार, रेडीटूईट और समय-समय पर स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान की जा रही है। इसके बावजूद भी जिले के वनांचल क्षेत्रों में कई ऐसे पारे टोले बसाहटें है,

जिसमें आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी खोले जाने के लिए आवश्यक जनसंख्या मापदण्ड पूरा नहीं करने के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र खोला नहीं जा सकता है,

लेकिन ऐसे पारे टोलों में भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के हितग्राही  0 से 6 वर्ष के बच्चे, गर्भवती माताएं, शिशुवती माताएं होती है, जो कि आईसीडीएस की सेंवाओ से वंचित है, ऐसे बसाहटों को भी पोषाहार सेवा का लाभ दिए जाने कलेक्टर जनमेजय महोबे के निर्देश पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का विस्तार किया गया है।

कबीरधाम द्वारा  जिले के वनांचल क्षेत्र के ऐसे पारे टोले जो आंगनबाड़ी केन्द्र के साथ कव्हर्ड नहीं है, उन हितग्राहियों को उनके पारेटोले में ही गरम भोजन, एवं रेडी टू ईट का वितरण किए जाने की योजना बनाई गई है। संबंधित पारेटोले को मुख्य आंगनबाड़ी केन्द्र से जोड़ते हुए पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जाएगा। वर्तमान में शासन व्दारा पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों,

गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को रेडी टू ईट टेक होम राशन के रूप  में प्रदाय किया जा रहा है। जिले में सुपोषण अभियान के तहत् सतत् कार्य किया जा रहा है।

जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत  कुपोषित बच्चों एवं महिलाओं को आंगनबाड़ी के माध्यम से गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई।

इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और 1 से 3 वर्ष के कुपोषित बच्चों गर्भवती व एनीमिक महिलाओं को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। इन सभी सेवाओं का लाभ छूटे पारे टोलों के हितग्राहियों को 11 अप्रैल 2023 से गरम भोजन से लाभान्वित किए जाने की शुरूआत हो गई है।  कलेक्टर महोदय ने स्वयं पहुंचकर बच्चों एवं महिलाओं को अपने हाथों से खाना परोसकर कार्यक्रम की शुरूवात की।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से कुपोषण दरो में कमी भी आई है- कलेक्टर

कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए जिले को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले के 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को देखे तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे। इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त कबीरधाम़‘ की संकल्पना के तहत मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई है। अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया।

इसका प्रतिसाद राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़़ों से भी स्पष्ट है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर कबीरधाम जिले में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आयु अनुसार कम वजन का आकड़ा 11.1 प्रतिशत की कमी कुपोषण में आई। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है। स्वास्थ विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती रही। जिले को कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।

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